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jagjit singh

Abstract

3  

jagjit singh

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घबराहट

घबराहट

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सिर्फ एहसास हो। 

मेरी घबराहट हो, 

मेरी ताकत हो, 

सरे प्रजा हो, 

लेकिन, अकेले हो, 

मेरी मोहब्बत, प्यार हो तुम, 


मेरा सबकुछ हो, 

मानो या ना मानो, 


तुम मेरे मालिक हो 

परमात्म। 

पता नहीं क्यू ,

खामोश हो तुम। 


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