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jagjit singh

Others

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jagjit singh

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कुछ यूं ही

कुछ यूं ही

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जब दिल थम सा जाता है,  

जब आगे का रास्ता नहीं दिखता है,

जीने की इच्छा सुन्न हो जाती है, 


पता नहीं जीते तो आ रहा हूँ,  

आंसुओं से प्यास बुझाते, 


ऐसा ही होता है ना लाश बनी जिंदगी का, 


रहम की बात नहीं,  

इनसानियत के नाते, छोड़ देते,  जी लेते। 



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