कुछ यूं ही
कुछ यूं ही
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जब दिल थम सा जाता है,
जब आगे का रास्ता नहीं दिखता है,
जीने की इच्छा सुन्न हो जाती है,
पता नहीं जीते तो आ रहा हूँ,
आंसुओं से प्यास बुझाते,
ऐसा ही होता है ना लाश बनी जिंदगी का,
रहम की बात नहीं,
इनसानियत के नाते, छोड़ देते, जी लेते।