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jagjit singh

Others

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हो सके तो, दो आंसू ही सही

हो सके तो, दो आंसू ही सही

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इतने सूखे पत्ते रास्ते मे भरे पडे हैं  

जो कभी हरे थे। 


इन पत्तों को, कौन याद रखता है भला, 

कभी गलती से याद भी आए , 


दो अनमोल आंसू भी नसीब में हो, या ना हो।  


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