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Shashikant Das

Abstract Inspirational

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Shashikant Das

Abstract Inspirational

बहना प्यारी !

बहना प्यारी !

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जो होती हैं हर घर की राज दुलारी, 

आशियाने की हर खुशियाँ उसीने सँवारी

भाई को संभाले बाँध के रिश्तो की डोरी, 

ऐसी होती है इस युग में सारी बहना प्यारी।


हो अगर बड़ी तो घोले ममता की मिश्री, 

हो अगर छोटी तो भर दे प्रसनता की टोकरी

जजबातो को दबाके जिसने हमारी शख्सियत उभारि, 

ऐसी होती है इस युग में सारी बहना प्यारी।


दिल की कोठरी में बनाये भातृ प्रेम की अलमारी, 

संजोये उसमे सभी अनगिनत यादों की तिजोरी

लगाये उसपे हमेशा भावनाओ की फिटकरी, 

ऐसी होती है इस युग में सारी बहना प्यारी।


उनसे ही रक्षा बंधन की प्रथा चली आ रही है सुनेहरी,

दुख और सुख की गरिमा की गाथा बाँधी है उसने सारी

भाईयो के कंधों पे डाला है विश्वास का भार भारी, 

ऐसी होती है इस युग में सारी बहना प्यारी।


दोस्तों, परमात्मा के कृपा के हैं हम बहुत आभारी, 

दिया अनमोल भेंट जिसने मिटाया हमारे रिश्तो की कमजोरी

उसके मुख पे खुशी के लिये बने कितने भाई भिखारी,

ऐसी होती है इस युग में सारी बहना प्यारी।


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