प्रेम!
प्रेम!


सच्चे प्यार के रंगोली में रंग जाता है जीवन,
जैसे पानी के बूँदों संग झूम उठता है सावन।
मन का आँगन खिल उठता है होके पावन,
बस जाते हैं राम और विलुप्त हो जाते हैं दशानन।
प्रेम की गलियों पर लिखे गये हैं करोड़ों किताब,
पूछे जाते हैं अनेक प्रश्न लेकिन होता है एक जवाब।
बिना भेदभाव के मिलता है चाहे हो अमीर या गरीब,
निष्ठा पूर्वक प्रेम तो ले आता है भगवान को भी करीब।
जीवन का हर पड़ाव मानो थम सा जाता है,
खिलखिलाती हुई आंखें नम सी हो जाती है।
विरह और वेदना भरा प्रेम गम दे जाती हैँ,
भरोसा पूर्ण प्रेम सारी दूरी कम कर जाती है ।
दोस्तों प्रेम की गाथा क्या सुनाये हम अपनी जुबानी,
यहां हर कदम पर मिल जाएगी एक अनोखी प्रेम कहानी।