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Shashikant Das

Inspirational

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Shashikant Das

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गणतंत्र दिवस!

गणतंत्र दिवस!

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था कई वर्ष तक मेरे देश का खिताब अधूरा,

आज के दिन हुआ हिसाब पूर्ण रूप से पूरा,

भले ही कुछ पल के लिए भाग्य था ठहरा,

हर कड़ी संग खिल उठा कितनों का चेहरा। 


कागज के पन्नों में लिखा गया था संविधान,

उन अक्षरों से मिल गया था हमे नया पहचान, 

दिया गया था हर वर्ग को एक अनोखा सम्मान,

ना था पक्षपात चाहे हो वो हिन्दू या मुसलमान। 


हर क्षेत्रों को मिला था उनके कर्तव्यों का उपहार,

सभी अनुच्छेदों को हर गण ने किया था स्वीकार, 

दुनिया में अपनी छवि पर करना पड़ा थोड़ा इंतज़ार,

मौलिक अधिकारों संग बन गया लोकतंत्र का आधार। 


संशोधनों के पश्चात भी बदला नही इसका रंग, 

सदेव न्याय प्रक्रिया में अनूठा रहा इसका ढंग,

दोस्तों, आज के दिन मिला था पूर्ण स्वराज का मंत्र,

तिरंगे संग सदेव चमकता जाये हमारे देश का गणतंत्र।


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