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Shashikant Das

Abstract Inspirational

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Shashikant Das

Abstract Inspirational

शहीद दिवस!

शहीद दिवस!

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एक वाक्या जिसने डाली थी जान इतिहास में हमारे,

एक छोटी सी कहानी जिसके हर पन्ने थे सुनहरे। 


उम्र की कोई सीमा नहीं होती है उन्होंने हमें बतलाया,

देश के आगे कोई जीवन नहीं, उन्होंने हमें सिखलाया।


क्रांतिवीर विचारों संग चल दिये थे सभी दोस्त मिलके,

दुश्मनों के आँखों में आंख डाली,ना झुकी उनकी पलकें।


हर पीड़ा पर जुबान से निकले थे इंकलाब के गाने,

हंसते हुये अपनी जान लुटा दी आज़ाद सवेरा लाने। 


शहादत देके बन गये सभी देशवासियों के आंख के तारे,

भर दी चिंगारी हर लहू में और जल उठी थी मशालें सारे।


दोस्तों, गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने की थी उन्होंने ठानी,

चंद पल निकाल के थोड़ा याद कर लो उनकी कुर्बानी।


वंदे मातरम!


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