नवरात्र 2024!
नवरात्र 2024!
असंख्य तारों के बीच निकली है ये अलौकिक भोर,
माता के दरबार में गूंज उठा है भक्तों का अद्भुत शोर,
कोमल हवाओं ने अपने वेग में डाला है अनोखा जोर,
बिन बारिश के झूम उठा है मन मानो बनके मोर।
असुरों के अमानवीय प्रकोप को इस धरा ने खूब है झेला,
महिषासुर के संग युद्ध से लेकर वध तक थी उत्कृष्ट बेला,
सिंदूर और गुलाल सहित जीवों ने जश्न को खूब है खेला,
जगराता के दियों संग सज उठा है सितारों का मेला ।
मैया की ममता है मानो कभी ना रुकने वाली झरना,
दे दे माता हमको अपने मन में एक छोटा सा कोना,
ब्रह्माण्ड के अमूल्य धातुओं को बनाया है अपना गहना,
आपके निर्मल छाया तले हमें पापियों से क्या डरना ।
दोस्तों, माता के सभी रूपों से हो चुके हैं हम पूरे अवगत,
पवित्र भक्ति संग करते हैं अपने मन मंदिर में उनका स्वागत।
