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Shashikant Das

Abstract Inspirational

4  

Shashikant Das

Abstract Inspirational

माँ !

माँ !

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तुझसे जुड़ी हैं मेरी हार और जीत पूरी,

तेरे बिन मेरी शख्सियत और कहानी है अधूरी, 

बच्चों के आगे न थी तेरी कोई मजबूरी,

धन्यवाद तेरा मेरे जन्म की दी थी तुमने मंजूरी।


नदी की निर्मल धारा जैसी बहती है तेरी ममता,

अपनों को जोड़े रखने की है बस तेरे में क्षमता,

जीवन के हर कड़ी में दिखे हर पल तेरी उदारता,

सूक्ष्म समय में कैसे लाती हो अपने में स्थिरता?


हर बवंडर के आगे तेरे आंचल ने हैं जिद्द ठानी,

भरपेट खिला के हमें तोड़ी तुमने भूख की मनमानी,

हमारी परवरिश में बीत गयी तुम्हारी जवानी,

हमारे अश्रु के आगे ना पी पायी कभी चैन से तुम पानी।


दोस्तों, बदल रही है ये दुनिया 

और बदल रहे हैं हमारे अनचाहे ढंग,

ना बदली कभी माँ की परिभाषा,

और ना बदल पाये उनके अनूठे रंग।


ना जाने कितनी लंबी है अंधेरी रातें,

बाधाओं से भरी हैं यहां लंबी सुरंग,

करता रहूँगा विनती सदेव तुमसे, 

अंतिम उजाले तक चलना माँ मेरे संग।


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