दीपावली
दीपावली
दीयों की लौ से जगमगा उठा है ये संसार,
दुनिया को मिल गया हो जैसे जीने के आसार।
कितनों की दहलीज हुई जगमगाते रोशनी से सुंदर,
कितनों ने बिताई अंधेरी रात अपने ही घर के अंदर।
शाम की गरिमा में जुड़ गये हैं धरती के तारे,
ढूंढ रहे हैं इस मंजर में कितने अपनों को प्यारे।
सज रहें हैं घर के आंगन और मिष्ठान के थाल सारे,
झिलमिल आतिशबाजी में छिप गए हैं आज चांद और सितारे।
अमावस की अंधेरी रात में घुल गई है पूर्णिमा की हस्ती,
सर्द ऋतु के इस निशा में मिल गई है ग्रीष्म की मस्ती।
दोस्तों, चाहे नरकासुर का वध हो या हो श्री राम का आगमन,
इस त्योहार से जुड़ा हुआ है हर धर्म का तन और मन।