मेरी डायरी
मेरी डायरी




मेरी अनमोल डायरी
बहुत कुछ कहती है
मेरे मन की भावनाएं
कुछ मुस्कुराती कल्पनाएं
कुछ खुद की लिखी कविताएं
अक्सर मन में
उलझी हुई बातों को
समेट लेती हूं इसके अंदर
जो किसी के समक्ष
कह नहीं पाती
समय बदल जाते हैं
रास्ते बदल जाते हैं
खुद हम बदल जाते
पर कुछ नहीं बदलता
तो वो है मेरी डायरी
डायरी में लिखती हूं
अपनी अनुभूति व जज्बात
हो जाती है पुरानी
यादों से मुलाकात
कभी टूटे हुए ख्वाबों की
चुभन लिखती हूं
कभी रोते हुए आंखों की
जलन लिखती हूं
कभी ख्वाबों की
ऊॅंची उड़ान लिखती हूं
कभी मन से जुड़े
अरमान लिखती हूं
कुछ लोगों के लिए
जब भर जाती है डायरी
शायद रद्दी हो जाती पर
अतीत के किस्सों से भरी
मेरी जिंदगी है मेरी डायरी
कितने ही गिले शिकवे समेटे
ना जानें कितने ही
सवाल किया करती है
मेरी डायरी भी ना
कई कमाल करती है
कभी दुख के अनुभव
कभी खुशी के पल दिखाती है
मन के उथल-पुथल को
लिख देती हूं डायरी में
कह डालती हूं व्यथा सारे
शांति मिल जाती है
मन को हमारे
मन जब उदास होता है
पलट लेती हूं कुछ पन्ने
अपने इस डायरी के और
खुश हो लेती हूं जी भर के
शायद इसे समझना
बहुत कठिन लगता हो
कुछ लोगों को
पर मेरी डायरी मेरे
सारे ग़म सुन लेती है
भले ही बाॅंट ना पाए
पर मन हल्का कर देती है
ऐ वक्त हो सके तो
तुम मेरी डायरी का
अदब हिस्सा बन जाना
फिर खयाल वही जज्बात वही
क्योंकि इस डायरी में
कोई भी रफ़ पृष्ठ नहीं
सुनहरी यादें ऐसी है सिमटी
कि मेरी डायरी कोहिनूर हो गई
देखा जो पुराने उस पल को
यह तो आंखों का नूर हो गई
जिंदगी के सारे मोड़
सिमटे हैं इस डायरी में
पर इंसान अपनी
जिंदगी का आखरी पन्ना
कहां लिख पाता है
चाहें जितना भी लिखूं
कुछ ना कुछ रह जाता है