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Richa jain

Abstract

4.8  

Richa jain

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सफर

सफर

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  सफर है ही कठिन फिर

  चाहे यादों का हो या

  रास्ताों का या मंजिल का

  चाहे फिर जीवन का।


  सीधे रास्ते तय करना

  फिर भी ठीक ही है

  बनिस्बत रास्ता बनाने से।

 

किंतु रास्ते सीधे मुश्किल ही हैं

ठीक वैसे ही जैसे सीधे बात

कहने और सुनने का सवब आना 

फिर सीधी बात कहो         


और ऐसे की

बस बरबस ही लाेग           

हुनर कह उठें।

यह भी साहब              

वक्त का तकाजा ही है

 

क्योंकि हर कोई यहाँ       

जौहरी थोड़ी ही बैठा है।


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