और फ़िर एक दिन मुलाकत की आती जाती बारिश रात की, और फ़िर एक दिन मुलाकत की आती जाती बारिश रात की,
खुद से झूठ क्यों बोलते हो ? खुद से झूठ क्यों बोलते हो ?
ना हम किसी के थे, ना कोई हमारा था। ना हम किसी के थे, ना कोई हमारा था।
ये है मेरा विद्यालय केन्द्रीय विद्यालय मोहाली। ये है मेरा विद्यालय केन्द्रीय विद्यालय मोहाली।
बूंद कितनी भी कीमती क्यों ना हो, समंदर उसे खुद में मिला ही लेता हैं। बूंद कितनी भी कीमती क्यों ना हो, समंदर उसे खुद में मिला ही लेता हैं।
जो है इसी बस्ती के लेकिन जिनका कोई मकाँ नहीं है। जो है इसी बस्ती के लेकिन जिनका कोई मकाँ नहीं है।