Sangeeta Modi
Tragedy
कागज की कश्ती थी,
दूर कहीं किनारा था।
खुशऩसीब थे हम,
यहाँ कोई तो हमारा था।
जब डूबने लगी कश्ती,
तो कोई पास ना आया।
खुशफहमी पल में दूर हो गई,
ना हम किसी के थे,
ना कोई हमारा था।
मेरी जिन्दादि...
पिता का अनकहा...
कागज की कश्ती
आसमान छूना है...
कामयाबी की मं...
नशे का दौर देश में नशे का जो चला दौर है। हम और आपको करना पड़ेगा इस पर गौर है। नशे का दौर देश में नशे का जो चला दौर है। हम और आपको करना पड़ेगा इस पर गौर ...
धरती माँ के भीगे-भीगे आँचल में आलोक गज़ल, अता करेंगी नयी धड़कनें हृदय-हीन बैतालों में। धरती माँ के भीगे-भीगे आँचल में आलोक गज़ल, अता करेंगी नयी धड़कनें हृदय-हीन बैता...
आज यूं अंत हुआ उसके इंतजार का। आज यूं अंत हुआ उसके इंतजार का।
जीने दो अपना अंदाज ए जिंदगी, अपनी मर्जी न दो मुकाम ए बंदगी। जीने दो अपना अंदाज ए जिंदगी, अपनी मर्जी न दो मुकाम ए बंदगी।
अपने भाई से लड़ जाते हैं हैं ना कितनी मतलबी दुनिया। अपने भाई से लड़ जाते हैं हैं ना कितनी मतलबी दुनिया।
गम में हम भी रो लेंगे तुम दिल की बात बतलाओ तो सही। गम में हम भी रो लेंगे तुम दिल की बात बतलाओ तो सही।
प्रदूषण कहर न बन जाए शीघ्र इसका उपचार करें। प्रदूषण कहर न बन जाए शीघ्र इसका उपचार करें।
मुंह पर हैं ताले लगे हुए देख, सुन ना बोल सकता हूँ ! मुंह पर हैं ताले लगे हुए देख, सुन ना बोल सकता हूँ !
लेकिन जहां मतलब सिद्ध हो सकता है वहाँ इंसान की इंसानियत का भंगड़ा है लेकिन जहां मतलब सिद्ध हो सकता है वहाँ इंसान की इंसानियत का भंगड़ा है
अपनी गलती का करो सुधार, वृक्ष लगाए हर परिवार। अपनी गलती का करो सुधार, वृक्ष लगाए हर परिवार।
कितना आसान है किसी को आहत करना, जले पर नमक छिड़कना। कितना आसान है किसी को आहत करना, जले पर नमक छिड़कना।
गुज़र रही है जि़न्दगी कुछ ऐसे, मानो हाथ से रेत फिसल रही हो जैसे। गुज़र रही है जि़न्दगी कुछ ऐसे, मानो हाथ से रेत फिसल रही हो जैसे।
जी लेते बचपन के दो चार पल हम फिर से दोहरा लेते स्वर्णिम पल ..............!! जी लेते बचपन के दो चार पल हम फिर से दोहरा लेते स्वर्णिम पल ................
साँसे हाँ साँसे...! बस वही चल रही हैं. साँसे हाँ साँसे...! बस वही चल रही हैं.
तरुवर प्रेम - प्रसून का ,काट रहा है कौन, भाईचारा आजकल, लोग रहे हैं भूल। तरुवर प्रेम - प्रसून का ,काट रहा है कौन, भाईचारा आजकल, लोग रहे हैं भूल।
धरती का सीना चीरकर,खून -पसीना जलाकर, हर मौसम की मार झेलकर,फसल को उगाकर। धरती का सीना चीरकर,खून -पसीना जलाकर, हर मौसम की मार झेलकर,फसल को उगाकर।
दोगले मानदंडों का दंड हर बार तेरी बेटियाँ ही पाती हैं....? दोगले मानदंडों का दंड हर बार तेरी बेटियाँ ही पाती हैं....?
तोड़ दे, मौकापरस्त दुनिया का जिया नेक कर्म ही है, खुदा तक का जरिया। तोड़ दे, मौकापरस्त दुनिया का जिया नेक कर्म ही है, खुदा तक का जरिया।
तब तू सोचना, की था एक दिन जब मैंने भी किसी के साथ यही किया था... तब तू सोचना, की था एक दिन जब मैंने भी किसी के साथ यही किया था...
सोचा बनूं मैं बंधुआ मजदूर और चुका दूं सबकी फीस। सोचा बनूं मैं बंधुआ मजदूर और चुका दूं सबकी फीस।