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नहीं मानती मैं बुरा अब किसी बात का। नहीं मानती मैं बुरा अब किसी बात का।
बिटिया की विदाई में अश्कों को अपने छिपाया है पिता के प्यार को कहां कोई देख पाया है। बिटिया की विदाई में अश्कों को अपने छिपाया है पिता के प्यार को कहां कोई देख पा...
ना हम किसी के थे, ना कोई हमारा था। ना हम किसी के थे, ना कोई हमारा था।
मुश्किलें दूर होंगी तमाम मेरी हिम्मत से। मुश्किलें दूर होंगी तमाम मेरी हिम्मत से।
चढ़ता चला हूं मैं। चढ़ता चला हूं मैं।