STORYMIRROR

Sangeeta Modi

Abstract

3  

Sangeeta Modi

Abstract

पिता का अनकहा प्यार

पिता का अनकहा प्यार

1 min
276

पिता के प्यार को कहां कोई देख पाया है

बिटिया के जन्म पर पिता भी फूला नहीं समाया है।


भूखी है बिटिया तो खाना भी उसने पकाया है

नींद आने पर लोरी सुनाकर सुलाया है।


नाराज हुई बिटिया तो प्यार से उसे मनाया है

बिटिया के सपनों की खातिर, सपनों को अपने भुलाया है।


बिटिया की विदाई में अश्कों को अपने छिपाया है

पिता के प्यार को कहां कोई देख पाया है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract