पिता का अनकहा प्यार
पिता का अनकहा प्यार


पिता के प्यार को कहां कोई देख पाया है
बिटिया के जन्म पर पिता भी फूला नहीं समाया है।
भूखी है बिटिया तो खाना भी उसने पकाया है
नींद आने पर लोरी सुनाकर सुलाया है।
नाराज हुई बिटिया तो प्यार से उसे मनाया है
बिटिया के सपनों की खातिर, सपनों को अपने भुलाया है।
बिटिया की विदाई में अश्कों को अपने छिपाया है
पिता के प्यार को कहां कोई देख पाया है।