राजा रंक सभी फल ढोते
राजा रंक सभी फल ढोते
राजा रंक सभी फल ढोते
कुछ आज कुछ कल ढोते
कुछ अनजाने से पापों के
ताउम्र बोझ का बल ढोते।
पाप तो धोने ही पड़ते हैं
साथ ले के गंगाजल ढोते।
किसान की आस फल से
कंधे पे उसी का हल ढोते।
वक्त ना देखता राजा रंक
माया के वश में थल ढोते।
आसान रास्तों के आदी से
जोखिम को हर पल ढोते।
'सिंधवाल' को खबर नहीं
दिमाग में लोभ मल ढोते।