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Twinckle Adwani

Abstract Inspirational

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Twinckle Adwani

Abstract Inspirational

बार बार संकेत दिया

बार बार संकेत दिया

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  बार-बार संकेत दिया ना सभले तुम

  हो गया ओजोन मे छेद,फिर भी न रूके 


  पिघला हिमालय,आई सुनाम

  बीका बोटलो मे पानी,हवा को तरसे 


  घटे पशु पक्षी बिगड़ गया संतुलन 

 छोड़ शुद्धता, भूल गए संस्कृति को

 

दृष्टि मेरी खुली तो डर गए 

कर दिया सब कुछ एक अनु से


 परमाणु का दिखावा कर रहे तुम

 असली को नकली बनाना चाहा


  शुद्धता तुम भूल गए

  बार-बार संकेत दिया 

  फिर भी ना संभले तुम।


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