ऋतुराज बंसत है आई
ऋतुराज बंसत है आई


बदल रहा मौसम
फसल पक आई
चारों तरफ महक फूलो की
गुंजन भंवरों की
पक्षियों कि चहक पाई
ऋतुराज बसंत है आई
हे ज्ञान देवी ज्ञान दे
संगीत ,सुरों की पहचान दे
कला को एक मुकाम दे
प्रेम उत्साह से भरे जीवन रंग
ऋतुराज बसंत है आई
जाग रही नई चेतना
मां सरस्वती कि करें आराधना
फल, फूल, मेवा, मिष्ठान का हो भोग
पीले फूल, पीला प्रसाद, पीले हो वस्त्र
चहुं और छाए खुशियों के रंग
ऋतुराज बसंत है आई ।।3।।