तीन ऋण हमारे
तीन ऋण हमारे

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तीन तरह के ऋण हमारे
जिसे निभाना हमारा फर्ज
एक ऋण प्रकृति का
लगाए पौधे ,बचाए जल
रक्षा करे जीव जंतुओं की
सुरक्षित रहे ,बच्चों का कल।।1।।
दूसरा दिन हमारे माता-पिता का
करें मात पिता की सेवा
खिलाएं उन्हें फल और मेवा
रहे मर्यादा में ,करें उनका सम्मान
कष्ट कटे जीवन के, बडे मान सम्मान ।।2।।
तीसरा ऋण हमारे देव ऋण
करे भक्ति नित्य प्रतिदिन
यथा शक्ति करे दान , धर्म का सम्मान
गुरु का बढ़ाएं मान सम्मान
करें सबका कल्याण।।3।।