भूल गए हम तुम्हें
भूल गए हम तुम्हें

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भूल गए है तुम्हें हम
बस याद करती है माथे कि बिंदी
भूल गए है तुम्हें हम
मगर याद करता है ये आईना
जब पहनते है तुम्हारी
वो काली ,किम ड्रेस
भूल गए है हम तुम्हें
कमबख्त ये मोबाइल ओर कवर
भूल नहीं पा रहे
तुम्हारी दी वो चूड़ियां
खन खन कर
तुम्हारे होने का एहसास दिलाती है
भूल गए ,हम तुम्हें
तुम भी भूल जाओ
वो किताबें, वो खत
कहाँ भूल पाया तुम्हें
भूल गए, हम तुम्हें
तुम भी भूल जाओ
चंचल है मन
भर जाती है ये आंखें
भूल गए हम तुम्हें
तुम भी ...