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Twinckle Adwani

Abstract Inspirational

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Twinckle Adwani

Abstract Inspirational

जीने का हक दो

जीने का हक दो

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टूट जाता है अंतरमन

जब साथ होकर पराए होते है 

पता होता है हमे सच 

आंखें मिलाकर झूठ कहते है।

चला जो गया हमारा समय, अपनत्व

कहाँ वो लौटता है 


रिश्तों के बंधन में हम टूट गए

हम त़ो सच कहकर, बुरे बन गए 

नहीं चाहिए दोहरे रिश्ते

हमें बख्श  दो

नहीं चाहिए हमें आपकी दौलत

हमारा जीवन हमें सौंप दो

खुद जीओ हमें भी जीने का हक दो




 



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