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Susheela R. Pandey

Abstract Inspirational

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Susheela R. Pandey

Abstract Inspirational

मेरा जीवन दृष्टिकोण

मेरा जीवन दृष्टिकोण

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नौकायें टूटती हैं, आंधियां चलती हैं;

सरिता फिर भी मुस्कुराती है, 

बहती हुई गुनगुनाती है..

जीवन रचना मेरी प्रतिज्ञा है, 

उसको गढ़ना ही मेरी प्रज्ञा है,

मुझे पतझड़ के रुदन से क्या लेना, 

मुझे मधुमास के सृजन पर... क्या हंसना,

मुझे तो बस चलते रहना है...

सागर में स्वयं घुलते रहना है..

आरंभ और अंत ज्ञात नहीं...

शिव- वीणा पर, निरंतर बजते रहना है...!


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