अपनी सी मनोशारीरिक संरचना वाले तथाकथित पुरुषों के घृणित पुरुषोचित कर्म। अपनी सी मनोशारीरिक संरचना वाले तथाकथित पुरुषों के घृणित पुरुषोचित कर्म।
माँ मंदिर की पूजा है, माँ जैसा कौन दूजा है।। माँ मंदिर की पूजा है, माँ जैसा कौन दूजा है।।
सुखद या दुखद अज्ञात ही है आज ज्ञात नींव आने बाले कल की। सुखद या दुखद अज्ञात ही है आज ज्ञात नींव आने बाले कल की।
आपका विश्वास आपको कभी भी निराश नहीं करेगा, वह ज्ञात तथ्य है। आपका विश्वास आपको कभी भी निराश नहीं करेगा, वह ज्ञात तथ्य है।
मेरी तो पहचान तुम्हीं हो मैं तुमसे कब जीता करता हूं। मेरी तो पहचान तुम्हीं हो मैं तुमसे कब जीता करता हूं।