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Samrat Singh

Classics Inspirational

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Samrat Singh

Classics Inspirational

माँ

माँ

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माँ सागर की गहराई है, माँ पर्वत की ऊँचाई है

माँ आकाश सा विस्तार है, माँ परिवार का प्यार है।


माँ परिवारों का बंधन है, माँ रोली और चंदन है

माँ फासला और दूरी है, माँ होना बहुत जरूरी है।


माँ पुराण और गीता है, माँ राधा और सीता है

माँ प्रेम की एक मूरत है, माँ की सभी को जरूरत है।


माँ ममता की निशानी है, माँ त्याग की कहानी है

माँ ईश्वर का एक रूप है, माँ सबके ही अनुरूप है।


माँ दुःखों की भरपाई है, माँ रिस्तों की तुरपाई

है

माँ पेड़ की शीतल छाया है, माँ में सारा जग समाया है।


माँ मगन मन मोर है, माँ सुहानी सी भोर है

माँ मंदिर की पूजा है, माँ जैसा कौन दूजा है।


माँ हँसना रोना है, माँ ही बिछौना है

माँ नफा नुकसान है, माँ है.. तो इंसान है।


माँ परिवारों का मेल है, माँ दीपकों का तेल है

माँ,माँ का प्रतिमान है, माँ ईश्वर से भी महान है।


माँ बिना कौन पूरा है..? माँ बिना सब अधूरा है

ज्ञात अज्ञात सभी माँ का नाम है,

इस लिए सभी माँ को प्रणाम है।


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