मिटाया जाए
मिटाया जाए
मुहबत में लोगों को आजमाया जाए
गम कैसे भी हो उनको मिटाया जाए
दिल के कोनो में बसी हैं जो यादें
आओ उसे कब्रों में दफनाया जाए
सिख लो फन मुक्कमल जिंदगी का
खुद गमो में रह कर लोगो को हँसाया जाए
क्यों नहीं मिल पाते दो दिल यहाँ
आओ वहाँ जमी को आसमां से मिलाया जाए
जो कभी मुहब्बत का पैगाम देती थी
आओ महबूब के उन ख़तों को जलाया जाए
इश्क़ में जो आ गए थे आँखों मे सपने
आओ उन सपनों को आखो से मिटाया जाए
आओ मुहब्बत में लोगों को आजमाया जाए
गम कैसे भी हो उनको मिटाया जाए।