जिंदगी से रुठी मौत सी हूँ मैं कुछ रात सी हूँ। जिंदगी से रुठी मौत सी हूँ मैं कुछ रात सी हूँ।
आज़ादी के तराने मुस्कुराती गुनगुनाती बेख़ौफ़ बेबाक लड़कियाँ....... आज़ादी के तराने मुस्कुराती गुनगुनाती बेख़ौफ़ बेबाक लड़कियाँ.......
ब्रह्मांड की तरह चेतना को विश्राम कहाँ जब कभी मिलती है विश्रांति खुद के कहीं होने का आभास होता ह... ब्रह्मांड की तरह चेतना को विश्राम कहाँ जब कभी मिलती है विश्रांति खुद के कहीं...
अपनी सी मनोशारीरिक संरचना वाले तथाकथित पुरुषों के घृणित पुरुषोचित कर्म। अपनी सी मनोशारीरिक संरचना वाले तथाकथित पुरुषों के घृणित पुरुषोचित कर्म।
भगवान कभी गैरजरूरी काम नहीं करते भगवान कभी जरूरी काम नहीं लटकाते।। भगवान कभी गैरजरूरी काम नहीं करते भगवान कभी जरूरी काम नहीं लटकाते।।
सुखद या दुखद अज्ञात ही है आज ज्ञात नींव आने बाले कल की। सुखद या दुखद अज्ञात ही है आज ज्ञात नींव आने बाले कल की।