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Anita Sharma

Abstract

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Anita Sharma

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वो सूखा गुलाब

वो सूखा गुलाब

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आज फिर तेरी याद ताजा कर बैठा,

मेरी किताब में दबा वो सूखा गुलाब;


जीवन में खुशबू बिखेर देता आज भी,

मेरी किताब में दबा वो सूखा गुलाब;


कसक इन यादों की पनपा जाता है,

मेरी किताब में दबा वो सूखा गुलाब;


तेरे होने का एहसास करा जाता है,

मेरी किताब में दबा वो सूखा गुलाब;


प्रथम पलों का बागवान सजा देता,

मेरी किताब में दबा वो सूखा गुलाब;


कुछ भी हो मुझमें श्रृंगार भर जाता,

मेरी किताब में दबा वो सूखा गुलाब;


बरसों से मैंने तेरे प्रेम सा सहेजा है,

मेरी किताब में दबा वो सूखा गुलाब।


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