भटकना जरूरी है
भटकना जरूरी है
मैं नहीं बांच पाती
सुख में लुका प्रेम
नहीं पढ़ पाती
दर्द में छुपा प्रेम
प्रेम में छुपे…
भावों की लुका छुपी
मुझे दूर रखती है…
बेसब्र दुनियादारी से
मेरा विपरीत चलना
दिखा रहा मुझे मेरा पंथ…
शाश्वत...निर्मल...एक मौन
नेपथ्य में…
एक विषादपूर्ण
लेकिन अर्थपूर्ण सत्य
दिशा विहीन नहीं हूँ मैं
शोक में भी मौज है
यहाँ से मेरा...
आगे बढ़ना भी सरल है
पीछे लौटना भी
समझने की बात है,
भटकना जरूरी है...
हां ! भटकन भी कई बार
मार्ग प्रशस्त करती है!