नज़्म-ए-जिंदगी
नज़्म-ए-जिंदगी
तुम्हें हर राह पर दोराहे मिलेंगे,
दोराहों पर कितने विचार ठगेंगे,
तुम सोचते रहना…
सुबह से शाम हो जायेगी!
तुम्हें हर चेहरे पर नये मुखौटे मिलेंगे,
उन मुखौटों पर कितने भाव खिलेंगे,
तुम खोजते रहना...
आँखों से धूल छँट ना पाएगी!
तुम्हारे बराबर सुख दुःख चलेंगे,
सुख दुःख में कितने साथ पलेंगे,
तुम कोंचते रहना...
जिंदगी वही नज़्म दोहराएगी!
कि~~ज़िन्दगी के सफ़र में…
गुज़र जाते हैं जो मकाम..
वो फिर नहीं आते, वो फिर नहीं आते!