विश्व शिक्षा दिवस !
विश्व शिक्षा दिवस !
अँधेरे में घिरा हुआ था संसार,
भर्म की माया ने लिया था पूर्ण आकार,
संचार माध्यम का न था कोई आधार,
मनुष्य का जीवन था कितना लाचार।
शिक्षा के लिपियों का हुआ जब अविष्कार,
इंसान की सोच में हुआ तब नया विस्तार,
कितनो ने अपनाने से पहले किया इनकार,
इसके लाभ से हुआ उनके दिमाग का उपचार।
आज हर कोने में हो रहा है शिक्षा का प्रसार,
प्रजातंत्र में बन गया है ये मूल अधिकार,
इसके सीमा को समेटने के लिए खड़े हैं कितने ठेकेदार,
हर गली मुहल्लों में बन गया है ये व्यापार।
गरीबो के भविष्य पे पड़ा है बड़ा प्रहार,
अज्ञानतावश कितने बच्चे बन गए हैं गंवार,
इससे वंचित होके कितनो का बचपन हुआ मजबूर,
विद्यालय की चाह में न जाने कितने हुये मजदूर।
इससे लिपटकर कितनो ने अपना जीवन दिया संवार,
विषम परिस्थितयों में भी किया अपना सपना साकार,
विनम्रता और संवेंदनशीलता का दिया इसने उपहार,
इसके केंद्र बिंदु में है सिर्फ शांति का प्रचार।
दोस्तों, कलम की ताक़त के आगे विवश है तलवार,
बुद्धि से ही तो होता है अपने शरीर का संचार,
बढ़ते आयु संग भी करलो अपने पे उपकार,
मोक्ष की प्राप्ति होगी अगर कर लो इसे पूर्ण स्वीकार।
