महल और झोंपडी़
महल और झोंपडी़
रहने की दोनों जगह पर
जमीन-आसमान का अंतर है
एक में बहती प्रेम-अपनेपन की धारा
दूसरे में कर्तव्य प्रथम है।।
निर्धन रहते एक में बंधू
दूसरे में नौकर-चाकर है
कट्टे-मीठे अनुभव एक में
दूसरे में शक की दीवारें हैं।।
जीवन जीना दोनों को बंधू
पर, अशांति दोनों के मन में है
एक माँगता धन मेरे बंधू
दूसरा शांति-सुकून की खोज में है।।