क्या खोया क्या पाया ?
क्या खोया क्या पाया ?
ढूंढ रहे थे बचपन से कुछ
जो मन भाया हो
कभी मोटी कापी
कभी सुन्दर कलम
कभी सखा सहेली
कब छूट गया बचपन
कुछ खोया कुछ पाया
पता नहीं ?
ढूंढा जवानी में कुछ
कभी अच्छा कॉलेज
कभी अच्छी कमाई
कभी मेनका सी अप्सरा
जीवन में आयी ,
कब भटक गयी जवानी
कुछ खोया ,कुछ पाया
पता नहीं
कुछ ढूंढा बुढापे ने था
कभी बच्चों की शोहरत
कभी बच्चों की दौलत
कभी निगहबानी बच्चों की
कब डूब गया बुढ़ापा
कुछ खोया - कुछ पाया
पता नही ?
जाने क्या क्या ढूंढा सदियों में
क्या खोया - क्या पाया
पता नहीं ?
दे कर सब कुछ
चंद सांसें बचायी
चंद सांसों की खातिर
यूं ही दुनिया लुटायी
चला - चली की बेला में
कहते ,सबसे
इस हड़बड़ी की वज़ह का है ?
क्या खोया क्या पाया ?
जब पता नहीं ?