प्रेम
प्रेम
मेरी खामोशी में छिपी हैं बहुत सी बातें .. जो तुमने सुनी नहीं '
तुम्हारी बातों में छिपी है बहुत सारी खामोशी ... जो सुन ली थी मैंने ,
गर .. तुमने सुनी होती मेरी खामोशी ..
और , मैने न सुनी होती तुम्हारी खामोशी ..
तो , .. यकीनन हम ,
आज भी प्रेमी होते ।