मन में असंख्य जिज्ञासाएँ थीं, आपने सुनना ही नहीं चाहा मन में असंख्य जिज्ञासाएँ थीं, आपने सुनना ही नहीं चाहा
फेंक दी गयी पुर्जा पुर्जा बिखरने को फेंक दी गयी पुर्जा पुर्जा बिखरने को
तुझे लिखा है आज यूँ ही, उम्मीद है तुझे ऐतराज़ नहीं। तुझे लिखा है आज यूँ ही, उम्मीद है तुझे ऐतराज़ नहीं।
उसे कहना नहीं आता, मुझे सुनना आता है। उसे कहना नहीं आता, मुझे सुनना आता है।
मुहब्बत भरे दिल की अर्ज़ी ... मुहब्बत भरे दिल की अर्ज़ी ...
तुम नहीं सुन पाओगे क्योंकि तुमने तो अपनी अंतरात्मा को ही ढक रखा है बैगैरती के लबादे से सदियों स... तुम नहीं सुन पाओगे क्योंकि तुमने तो अपनी अंतरात्मा को ही ढक रखा है बैगैरती क...