यूँ ही
यूँ ही
एक महफ़िल में मेरा ज़िक्र उठता है,
देखा है, सुना है,
तेरी आंखें भी कुछ कम मशहूर नहीं।
ये तेरा पलों को जीना, रुकना, दिल की सुनना,
शायद मैंने कभी किया नहीं।
तेरा दीदार खूबसूरत है,
के अफसाना अभी बना नहीं।
तुझे लिखा है आज यूँ ही,
उम्मीद है तुझे ऐतराज़ नहीं।

