मैं नहीं जानती
मैं नहीं जानती
तुझे एक पल को नज़रबंद
करना चाहती थी मैं,
तूने नज़रें फेर कर,
ना जाने क्या जता दिया,
ये बेरुखी थी या
बेख्याली की कोशिश,
मैं नहीं जानती,
मैं हस्सास हूँ या तू बे-हिस,
मैं नहीं जानती,
ये किस्मत है या साज़िश,
मैं नहीं जानती,
तू मुसाफिर है या मंज़िल,
मैं नहीं जानती।

