सुनना होगा
सुनना होगा
सुनो_ _
सुनती ही तो आई हूँ
कब से_ _
सदियों से
किससे_ _
एक पुरूष से
क्यों_ _
यही नियति बना दी गई है मेरी
तो अब_ _
बस अब नहीं
अब मैं कहूँगी तुम सुनोगे
क्या _ _
वही जो सदियों से कहना चाहती थी
कब तक_ _
दिल का गुबार निकल जाने तक
लो सुनो
हाँ सुनना ही होगा_ _ _ _
सुनना होगा उस रूदन को जो
अन्तस में गहरे से कहीं बैठ गया
सुनना होगा उस अवसाद को जो
अन्तस में गहरे से कही पैठ गया
सुनना होगा उस दर्द को जो
अन्तस मे गहरे से छेद कर गया
क्या सुन पाओगे
नहीं, तुम नहीं सुन पाओगे
क्योंकि तुमने तो अपनी अंतरात्मा को
ही ढक रखा है बैगैरती के लबादे से
सदियों से_ _ _ _
