इठलाओ ..माँ
इठलाओ ..माँ
माँ
कुछ सुना ..
माँ ..
वैसे ही ..
जैसे ..
पहली बार बोला था ..
माँ
आप हँस दी थी ..
एक बार ..
वैसे ही
निशचल हो
हँस दो न माँ ..
या
जैसे किलक कर
गोद में
चढ़ गयी थी ..
अंक में
भरा तुमने ..
तो, मैं
मुस्कराई थी ..
वैसे ही मुस्करा दो न ..
क्यों जिम्मेदार बनी
खड़ी हो ??
छोटी बच्ची बन
सब कुछ बच्चों पर
छोड़ दो न ...
माँ ...
समय चक्र बदलता है ..
मैं बच्ची न रही ..
माँ .. माँ .. तुम ही बच्ची बन जाओ न ..
वैसे ही
इठलाओ .. खिलखिला ओ ..
दुनियादारी भूल ..
निश्चल हो जाओ न !
माँ
सुन रही हो न !
खिल खिलाओ न ..
किसी फूल सी मुस्करा दो न !
मैं भी तुम्हारी तरह ..
तुम्हें देख ..
मुस्करा दूंगी ..
मेरी मुस्कराहट तुम्हें प्यारी नहीं क्या ?
माँ
माँ