हूँ अकेली और बस कुछ मछलियाँ रूप है बदला हैं घेरे नालियाँ हूँ अकेली और बस कुछ मछलियाँ रूप है बदला हैं घेरे नालियाँ
कभी सुख सुविधा की चाहत ने तो कभी सकूँ की तलाश में हमने तस्वीरों को नित नया ढाला कभी सुख सुविधा की चाहत ने तो कभी सकूँ की तलाश में हमने तस्वीरों ...
हिलने डुलने से विचारों की जड़ता टूटती है एक उन्मुक्त आनंद की प्राप्ति होती है। हिलने डुलने से विचारों की जड़ता टूटती है एक उन्मुक्त आनंद की प्राप्ति होती है।
तू करने क्या आया था, कर क्या बैठा तू ! तू करने क्या आया था, कर क्या बैठा तू !
खुशियां अपनी कहानी लिखने वक्त बदल जाएगा। खुशियां अपनी कहानी लिखने वक्त बदल जाएगा।
उसके शब्दों को, मानो या ना मानो। उसके शब्दों को, मानो या ना मानो।