STORYMIRROR

Shipra Verma

Abstract

4  

Shipra Verma

Abstract

झूला झूलने से

झूला झूलने से

1 min
464

झूला झूलने की उम्र

कभी खत्म नहीं होती

जन्म से लेकर अंत तक

झूलते रहते हैं हम सब


पालने का झूलना

फिर गोदी में झूलना

फिर उद्यानों के झूले

फिर बड़े झूलों में झूलना


झूलों का शौक़ मरता नहीं

क्योंकि झूला एक सत्य का

बोध करवाता है हम सबको

लय, गति चक्र में हम सब हैं


आज भी चाहे मेरी उम्र कुछ भी हो

झूला मिलते ही खूब झूलती है

हिलने डुलने से विचारों की जड़ता टूटती है

एक उन्मुक्त आनंद की प्राप्ति होती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract