झूला झूलने से
झूला झूलने से
झूला झूलने की उम्र
कभी खत्म नहीं होती
जन्म से लेकर अंत तक
झूलते रहते हैं हम सब
पालने का झूलना
फिर गोदी में झूलना
फिर उद्यानों के झूले
फिर बड़े झूलों में झूलना
झूलों का शौक़ मरता नहीं
क्योंकि झूला एक सत्य का
बोध करवाता है हम सबको
लय, गति चक्र में हम सब हैं
आज भी चाहे मेरी उम्र कुछ भी हो
झूला मिलते ही खूब झूलती है
हिलने डुलने से विचारों की जड़ता टूटती है
एक उन्मुक्त आनंद की प्राप्ति होती है।