जिसमें गति थी निर्द्वन्दता थी और साथ था वक्त जिसमें मौज़ थी मस्ती थी और थी बेफिक्री.... जिसमें गति थी निर्द्वन्दता थी और साथ था वक्त जिसमें मौज़ थी मस्ती थी और थी बेफिक...
तुम चलायमान, मैं ठहरा निर्वाह कर सको तो आओ। तुम चलायमान, मैं ठहरा निर्वाह कर सको तो आओ।
वो तो सचमुच कुसुम से प्यारे ही लगते हैं। वो तो सचमुच कुसुम से प्यारे ही लगते हैं।
हिलने डुलने से विचारों की जड़ता टूटती है एक उन्मुक्त आनंद की प्राप्ति होती है। हिलने डुलने से विचारों की जड़ता टूटती है एक उन्मुक्त आनंद की प्राप्ति होती है।
पाकर सहसा भोज निमन्त्रण, मन प्रफुल्लित हो आया। पाकर सहसा भोज निमन्त्रण, मन प्रफुल्लित हो आया।
बढ़ानी होगी उम्र तभी तो यात्रा कर पायेंगे। बढ़ानी होगी उम्र तभी तो यात्रा कर पायेंगे।