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Jitendra Vijayshri Pandey

Drama

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Jitendra Vijayshri Pandey

Drama

बच्चे

बच्चे

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बच्चे तो सच बच्चे ही होते हैं,

वो तो सचमुच दिल के अच्छे ही होते हैं।

चाहे ग़रीब हों या फिर 'विशेष',

वो तो सचमुच कुसुम से प्यारे ही लगते हैं।

बच्चे तो सच...।


उनमें विकास मंद गति से ही होते हैं,

तभी तो वो कच्ची मिट्टी के घड़े होते हैं।

जैसे कुम्हार ढालेगा ठीक वैसे ढलेंगे,

तभी तो वो नादानियाँ करके भी मासूम लगते हैं।

बच्चे तो सच...।


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