गुरु
गुरु
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गुरु है जीवन में तो किसी की ज़रूरत नहीं,
गुरु है साथ में तो किसी का भी डर नहीं।
सफलता क़दम चूमती है अक़्सर क्योंकि
गुरु भी इंसान है कोई पत्थर की मूरत नहीं।।
वो दिया है जो जलता ख़ुद आग में है,
वो डाँट है जो डाँटता आप सबकी फ़िक्र में है।
उस डाँट को गले लगाकर कुछ नायाब कर जाओ क्योंकि
वो बर्फ़ है जो पिघलता सिर्फ़ हम सबकी ख़ुशी में है।।
गुरु ने ही सम्राट चंद्रगुप्त बना दिया,
गुरु ने तो वीर एकलव्य धनुर्धर बना दिया।
कितनी बातें बताऊँ मेरे साहित्य प्रेमियों,
गुरु ने तो न जाने कितनों को फ़कीर से अमीर बना दिया।।