दुपट्टे और परांदे
दुपट्टे और परांदे
पिंड का हरेक दिन होता है
जैसे एक खुशनुमा त्योहार
कारण ये के कोई नहीं अकेला
सब करते हैं सब से प्यार!
लंबे - लंबे केश कुड़ियों के
एक दूजे की चोटियाँ गुँथवाए
रक्तिम जवा के पुष्प आराधन संग
केशों में भी निखार ले आए!
सफेद साड़ियों में दो स्त्रियाँ
पानी भरने सर मटका ले जाएं
वहीं दो नारियाँ बैठ कर ताज़ी
सब्जियां काट पकाने जाएं!
किसी के सर पर लाल दुपट्टा
और कोई सफेद से सर ढकाएं
केश काले हो या चांदी जड़ी
नहीं छोटे बाल स्त्री के नज़र आये!
दुपट्टे और परांदे देख कर अपनी
संस्कृति और संस्कार याद आये
ये साँझा जीवन स्त्रियों का ही
जीवन को त्यौहार जैसा बनाये!