मानो या ना मानो।
मानो या ना मानो।
इस एक ब्रह्मांड मे,
हर चल अचल कृति में,
उसकी मौजूदगी को,
मानो या ना मानो।
अपने मन के रथ को,
साधने के यत्न में,
वह देता है सहारा,
मानो या ना मानो।
इस संसार के
काल चक्र में,
उसकी गतिशीलता,
मानो या ना मानो,
अपनी अंतरात्मा की,
गूँजती आवाज में,
उसके शब्दों को,
मानो या ना मानो।
निर्जीव में छुपा जीवन,
उस ऊर्जा के भंडार मे,
उसका अस्तित्व पहचानो,
मानो या ना मानो।