STORYMIRROR

मानो या ना मानो।

मानो या ना मानो।

1 min
497


इस एक ब्रह्मांड मे, 

हर चल अचल कृति में,

उसकी मौजूदगी को,

मानो या ना मानो।


अपने मन के रथ को,

साधने के यत्न में,

वह देता है सहारा,

मानो या ना मानो।


इस संसार के 

काल चक्र में,

उसकी गतिशीलता,

मानो या ना मानो,


अपनी अंतरात्मा की,

गूँजती आवाज में,

उसके शब्दों को,

मानो या ना मानो।


निर्जीव में छुपा जीवन,

उस ऊर्जा के भंडार मे,

उसका अस्तित्व पहचानो,

मानो या ना मानो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract