STORYMIRROR

Akanksha Gupta (Vedantika)

Tragedy

4  

Akanksha Gupta (Vedantika)

Tragedy

नसीब में नहीं था

नसीब में नहीं था

1 min
506

नसीब में नहीं था एक मुकम्मल जहान

पैरों तले जमीन और सिर पर आसमान


मुंतशिर हर ख़्वाब आँखों की चुभन है

मुतमईन ज़िंदगी नहीं लेती है इम्तिहान


बूंदों की ख़्वाहिश में प्यासे रहे उम्र भर 

बादलों को रहा खुद पे दरिया सा गुमान


लड़ने चले थे नसीब से हम एक दिन

इस अंजाम-ए अदावत से हो अंजान


जीत हासिल करके भी हार गया दिल

बिक गया बाज़ार में इश्क़ का सामान


शकेबाई की हद नहीं रह गई अब कोई

ग़मगुसार नही है यहाँ मेरा कोई इंसान।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy