STORYMIRROR

Shweta Bothra

Tragedy

4  

Shweta Bothra

Tragedy

वो अगर आज होती

वो अगर आज होती

2 mins
174

वो अगर आज होती

तो क्या–क्या ना होती

शायद उछल के

चाँद को छू लेती।

 

या घुटने-घुटने चल

कितनी ही गलियां नाप लेती

अपनी चोटियों के झूलों में

उम्मीदों को झुलाती।


वो गाती, नाचती, झूमती 

किसी बहते झरने को

उँगलियों से चूमती।


वो पकड़ती हाथ शबनम का

और गुनगुनाते हुए स्कूल को जाती

वो किसी चुटकुले पर

कितने ही घंटों खिलखिलाती। 


माँ की साड़ी पहन

सच में वो कितना इतराती

बड़ी बहन के कुर्ते चढ़ा

वो कितना चहचहाती।


चुपके से किसी दिन

लिपस्टिक चुराती

वो उन लाल होठों को

देख कितना शर्माती।


पापा की राह तकती

भाई की ढाल बनती

माँ की दया देख वो

खुद भी कितने ही दफे

चौके में पिसती।


वो अगर आज होती

तो सहेलियों से घिरी होती

किसी के दिल को धड़काती 

कितने ही रतजगे कर रही होती।


वो अगर आज होती

तो क्या क्या ना होती

मगर वो यहाँ नहीं है

वो जो कल तक आई सी यू में थी

आज कहीं नहीं है।

  

उसने महज़ 7 महीने की

ज़िन्दगी जी

जो की सही नहीं है।


पर वो करती भी क्या

वो तो बेचारी पालने में

झूल रही थी

सूरज की किरणों के साथ

बेतरतीबी से खेल रही थी,


तभी अचानक दाढ़ी वाला

एक शख्स आया

चाचा था रिश्ते में उसका

पर उसने हैवानियत का धर्म निभाया। 


उस रुई के फाहे को उस निर्दयी में 

अपनी हथेलियों से दबा दिया

बस एक ही पल में उसे

निर्मला से “निर्भया” बना दिया।


वो मासूम रोई मगर

ठीक से रो भी नहीं पाई

वो चीखी मगर अपने दर्द को

किसी से कह भी ना पाई।


कितनी बदनसीब थी वो लड़की

कि अपनी माँ को ठीक से

माँ भी ना बुला पाई

काश ये ना हुआ होता

तो वो आज यहीं कहीं खड़ी होती।


शायद कुछ नया सुन रही होती

कुछ नया लिख रही होती

वो अगर आज होती

तो क्या क्या ना होती।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy