मेरे देश की बेटी
मेरे देश की बेटी
मेरे देश की बेटी हार गई
मेरे देश की बेटी हार गई
मेरे देश का बाहुबल जीत गया।
कमज़ोर का दिल था
गरीब की चौखट थी
अमीरों की खुशामद में
एक और बाप सर पिट गया।
मेरे देश की बेटी हार गई
मेरे देश का बाहुबल जीत गया
उन्नाव जहाँ उसने
उड़ान भरी थी अपनी कभी।
किसी वहशी दरिंदे का
हैवानियत भरा दिल
उसके हौसलों को खींच गया
उसके माँ बाप सगे संबंधी
सभी दौलत की भट्टी में झोंक दिये।
उसके जो अवशेष बचे
वो दोहरी मानसिकता ने फूँक दिये
वो मर गई खप गई
और देश का विकास जीत गया।
वो एक बेटा था
किसी औरत का
जिसका लहू
किसी औरत का
जबड़ा भींच गया।
मेरे देश की बेटी हार गई
मेरे देश का बाहुबल जीत गया
यह मौत उसकी नहीं
हम सबकी है
हमारी खोखली संस्कृति की है।
हममें मर चुकी उस इंसानियत की है
जिसका सुर्खरू लहू
नीरा कोरा निपट सफ़ेद हो चुका है।
जो खुद कटने पर भी
उबलेगा या अपनी किसी
स्वार्थपिपासा में खुद में ही
ज़र्द हो जायेगा।
हम धार्मिक ही भाषावादी है
पाखंडी है
अलगाववादी है
बस इंसान नहीं है
यह कैसी ढोंगी प्रवृत्ति है
जिसमें इंसान इंसान को लील गया।
मेरे देश की बेटी हार गई
मेरे देश का बाहुबल जीत गया
हम दोषी है&
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हो सके तो मुआफ़ कर देना हमें।
हम खुद के हक़ के लिए
कभी लड़े नहीं
क्या लड़ेंगे तेरी हक़ के लिए
ऐसी भयानक ख़बर पर
हम अख़बार का पन्ना पलट डालते हैं।
रिमोट दबा कर टीवी पर अगला
चैनल बढ़ा डालते हैं
हमें आदत है ख़ामोशी की
इस चुप्पी की
जो हमने साधी है।
तू मर गई तो क्या हुआ
अभी देश में बेटियां बाकी है
हमें हिज़ड़ा भी न समझना तू
इतना तुझसे कह देता हूं।
धर्म के नाम पर
पुकार हमें अभी
दंगे कर देंगे हम
आग लगा देंगे दुनियां में
खुद मर खप जायेंगे हम।
धरने देंगे सड़कों पर
ट्रैफ़िक जाम करेंगे
मोर्चेबाज़ी करेंगे घेराव करेंगे
तेरी रक्षा नहीं कर पाए तो क्या।
अभी क्रिकेट बहुत खेलना है हमें
फ़िल्में भी बनानी है
तेरी कहानी पर और
नाटक भी तो करने है हमें
तू बस रूह बनी देखती रहना
कैसे मरने के बाद भी
हम नौच खाएंगे तुझे।
यह नुक्क्ड़ में हम दिखाएंगे
जो तेरी लिए आवाज़ उठाएगा
वो मोब लिंचिंग में मारा जायेगा
यही देखने दिखाने में
तू देखेगी समय कैसे बीत गया।
मेरे देश की बेटी हार गई
मेरे देश का बाहुबल जीत गया
यह जीत किसकी है
निज़ी है, औपचारिक है
धार्मिक है, संस्कृति की है
राजनैतिक है, सामाजिक है या
आडंबरी है।
किसकी जीत है यह....।