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Apoorva Singh

Tragedy Inspirational

4  

Apoorva Singh

Tragedy Inspirational

तितली

तितली

2 mins
376


मैं हूँ तितली

फूल फूल हूँ फिरती,

छेड़े कोई तो हूँ गिरती

फिर उठ हूँ उड़ती।

 

रंग बिरंगे मेरे पर

शरीर मेरा जैसे फर,

हालाँकि सख़्त मेरा सिर

फिर भी लगता मुझ को डर।

 

खेल-खेल में पकड़ ना लेना

मुझ को यूँ जकड़ ना लेना,

बहुत नाज़ुक पर हैं मेरे

मज़े मज़े में तोड़ ना लेना।

 

चार दिन का जीवन मेरा

खेल खिलौना नहीं है तेरा,

हूँ मैं कीट तो हुआ क्या

ये जगत मेरा भी है डेरा।

 

नन्ही सी है मेरी जान

पंख ही हैं मेरी आन,

खूबसूरती है मेरी बान

उड़ना ही है मेरी शान।

 

जिस बगिया में हैं परिंदे

उस बगिया की चहक हूँ,

जो करे कोयल कुहू

उस कोयल की कहक हूँ।

 

जो हैं अधखिली कलियाँ

उन कलियों की कसक हूँ,

जो हैं फूल खिले

उन फूलों की महक हूँ।

 

जिस नभ में असंख्य तारे

उन तारों की चमक हूँ,

जो निकले चाँद रात को

उस चाँद की दमक हूँ।

 

जो बढ़े अग्नि हवा में

उस अग्नि की धधक हूँ,

जो उगे सूरज सुबह-सुबह

उस सूरज की धमक हूँ।

 

पर जाती मेरी उदास है

प्रजाति मेरी निराश है,

ना बंद किया कीटनाशक

तो हमारा सिर्फ विनाश है।

 

जैसे तुम जीव हो

पूर्णता सजीव हो,

वैसे मैं भी जीव हूँ

इस दुनिया की नींव हूँ।

 

हम छोटे-छोटे कीट

जीवन बेहतर बनाते हैं,

हम उड़ने वाले कीट

आकाश को सजाते हैं।



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